स्टॉक मार्केट क्या है?
शेयर बाजार को हम लोग इक्विटी मार्केट भी बोलते हैं इसका मतलब हमारे देश में जितनी भी लिस्टेड कंपनी है वह अपनी कंपनी के कुछ हिस्सेदारी के बदले शेयर जारी करते है ताकि हम उस शेयर को खरीद कर उस कंपनी के हिस्सेदार बन सकें!
शेयर बाज़ार को दो वर्गों में बांटा जाता है, पहला प्राइमरी मार्केट और दूसरा सेकेंडरी मार्केट - जब किसी कंपनी को अपने व्यापार का विस्तार करने के लिए धन उगाही (फण्ड रेजिंग) की जरुरत होती है। तो कंपनी IPO ले कर आती है ! धन उगाही के बहुत सरे माध्यम है जैसे बैंक से कर्ज लेना, सम्पति के बदले कर्ज लेना, किसी बड़ी वित्तीय कंपनी को हिस्सेदारी देकर उसके बदले धन उगाही करना! लेकिन उन सभी बिकल्पो में कोई न कोई समस्या होती है जैसे कर्ज लेने पर ब्याज देना पड़ता है और बड़ी वित्तीय कंपनी को हिस्सेदारी देने पर स्वमित्वा का अधिकार उसके पास जाने का खतरा बना रहता है इसके ठीक विपरीत आईपीओ के माध्यम से धन उगाही करने पर न ही कोई ब्याज देना पड़ता है और न ही कंपनी का एक बड़ा हिस्सा किसी एक बड़ी फर्म के पास जाने का खतरा होता है ! जब कंपनी आईपीओ ले कर आती है तो पहले निवेशक को आईपीओ में प्राइमरी मार्किट के माध्यम से शेयर में निवेश करने का अवसर मिलता है !
आईपीओ आने के बाद निवेश (INVESTMENT) करने के लिए अप्लाई करना होता है उसके बाद कंपनी शेयर अलॉट कर देती
है ! आईपीओ में अप्लाई करने के लिए रिटेल इन्वेस्टर को मिनिमम १ लॉट खरीदना जरुरी होता है ! जब आईपीओ ९० % सब्सक्राइब्ड हो जाता है तो सेबी (SEBI) लिस्ट करने की मंजूरी दे देती है लेकिन मंजूरी मिलने के बाद १४ दिनों के भीतर शेयर को एक्सचेंज में लिस्ट करना जरुरी होता है ! जब शेयर खरीद- बिक्री के लिए एक्सचेंज पर लिस्ट हो जाती है तो उसे हम लोग सेकेंडरी मार्केट बोलते है, एक प्रकार से देखे तो यहाँ पे शेयरों की नीलामी होती है। अगर किसी को कोई शेयर बेचना होता है, तो सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को ये शेयर बेच दिया जाता है। या अगर कोई शेयर खरीदना चाहता है, तो बेचने वालो मे से जो सबसे कम कीमत पे तैयार होता है उससे शेयर खरीद लिया जाता है। शेयर मन्डी (जैसे BSE and NSE) इस तरह कि बोलियाँ लगाने के लिये ज़रूरी सभी तरह कि सुविधाये मुहैया कराते है। सोचिये, एक दिन मे करोड़ो शेयरों का आदान-प्रदान होता है। कितना मुश्किल हो जाये अगर सभी कारोबारियों को चिल्ला चिल्ला के ही खरीदे और बेचने वालो को ढूंढ्ना हो। अगर ऐसा हो तो शेयर खरीदना और बेचना असम्भव हो जायेगा। शेयर मन्डियाँ इस काम को सरल और सही ढंग से करने का मूलभूत ढांचा प्रदान करती है। कई प्रकार के नियम, कम्प्यूटर की मदत, शेयर ब्रोकर, इंटर्नेट के मध्यम से ये मूलभूत ढांचा दिया जाता है। असल मे शेयर बाज़ार एक बहुत ही सुविधाजनक सब्ज़ी मंडी से ज़्यादा कुछ भी नही है। जहा शेयर ख़रीदे बेचे जाते है !
प्राइमरी मार्केट और दूसरा सेकेंडरी मार्केट-
प्राइमरी मार्केट में कंपनियां स्टॉक एक्सचेंज में पहली बार सूचीबद्ध होती है और अपने शेयर जारी करती हैं। कंपनियां आईपीओ (इनिशियल पब्लिक आफरिंग) के जरिए अपने शेयर पहली बार शेयर बाज़ार में इशू करती हैं और बाजार से पूंजी जुटाने का प्रयास करती है।सेकेंडरी मार्केट को एक्सचेंज ट्रेडेड मार्केट भी कहते हैं। यह एक रेगुलर मार्केट है, जहां पर कंपनियों के शेयर्स की ट्रेडिंग रेगुलर बेसिस पर होती है। निवेशक शेयर ब्रोकर के माध्यम से स्टॉक एक्सचेंज में अपने ट्रेडिंग ऑर्डर्स को पूरा करते हैं।

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